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हरिहरपुरी विरचित




हरिहरपुरी विरचित 

          दुर्मिल सवैया


रहना मन में बसना उर में, कहती रहना हर बात सखी।

मनभावन हो प्रिय पावन तू,सद्भावन को नयना निरखी।

तुझको सब में सब को तुझ में, तव रूप निखार प्रभा सुमुखी।

मम संग रहो सजनी बन जा, धरती जगती सब होय सुखी।





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3 Comments

बेहतरीन

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Sachin dev

06-Jan-2023 06:03 PM

Nice

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Gunjan Kamal

05-Jan-2023 08:44 PM

शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻

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